विशेष प्रश्नमंजुषा टेस्ट सोडवा सर्टिफिकेट मिळवा

मी विजय भुजबळ ग्रेट इंडियन या ब्लॉगवर सहर्ष स्वागत करत आहे या ब्लॉग वरती आपणास भारत देशातील महान व्यक्तींची माहिती उपलब्ध होणार आहे. देशासाठी लढणारे क्रांतिकारक जवान, सैनिक, खेळाडू, समाजसेवक, शिक्षण तज्ञ, वैज्ञानिक , लेखक, राजकारण, अशा क्षेत्रांमध्ये महत्त्वपूर्ण महान व्यक्तींची ओळख कार्य , याची माहिती उपलब्ध होणार आहे.WELCOME TO MY BLOG GREAT INDIAN THANKS FOR VISIT MY BLOG AND FOLLOW MY BLOG
FOLLOW MY BLOG


 

Translate /ब्लॉग वाचा जगातील कोणत्याही भाषेत

समाजकारण /राजकारण

Popular Posts

सुहासिनी गांगुली..

      

         *सुहासिनी गांगुली*

      (भारतीय स्वतंत्रता सेनानी)


*जन्म : 3 फ़रवरी, 1909*

         (खुलना, बंगाल)

*मृत्यु : 23 मार्च, 1965*

                                                                                     अन्य नाम : सुहासिनी दीदी                                                                                         पिता : अविनाश चन्द्र गांगुली, माता : सरलासुन्दरी देवी

नागरिकता : भारतीय

प्रसिद्धि : स्वतंत्रता सेनानी

जेल यात्रा : हिजली जेल में 1930 से 1938 तक रहीं।

अन्य जानकारी : सन 1942 के आन्दोलन में भी सुहासिनी गांगुली ने भाग लिया और फिर जेल गईं। इसके बाद 1945 में छूटीं।

                                                                          सुहासिनी गांगुली भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। भारतवर्ष की आज़ादी उनके जीवन का सबसे बड़ा सपना था, जिसको पूरा करने में उन्होंने अपना पूरा जीवन लगा दिया। उनके इस त्यागमय जीवन और साहसिक कार्य को सम्मान देने के लिए कोलकाता की एक सड़क का नाम 'सुहासिनी गांगुली सरनी' रखा गया है। रचना भोला यामिनी ने अपनी पुस्तक 'स्वतंत्रता संग्राम की क्रांतिकारी महिलाएँ' में उनके जीवन चरित्र का वर्णन किया है।


💁‍♂️ *परिचय*

सुहासिनी गांगुली का जन्म 3 फ़रवरी सन 1909 में खुलना, बंगाल में हुआ था। उनका पैत्रिक घर ढाका, ज़िला विक्रमपुर के बाघिया नामक गाँव में था। पिता अविनाश चन्द्र गांगुली और माता सरलासुन्दरी देवी की बेटी सुहासिनी 1924 में ढाका ईडन हाईस्कूल से मैट्रिक पास करके ईडन कालेज से स्नातक बनीं। एक तैराकी स्कूल में वे कल्याणी दास और कमला दासगुप्ता के सम्पर्क में आईं और क्रांतिकारी दल का साथ देने के लिए प्रशिक्षण लेने लगीं। 1929 में विप्लवी दल के नेता रसिक लाल दास से परिचय होने के बाद तो वह पूरी तरह से दल में सक्रिय हो गईं। हेमन्त तरफदार ने भी उन्हें इस ओर प्रोत्साहित किया।                                                                   ✏️ *अध्यापन कार्य*

सन 1930 के 'चटगांव शस्त्रागार कांड' के बाद बहुत से क्रांतिकारी ब्रिटिश पुलिस की धर-पकड़ से बचने के लिए चन्द्रनगर चले गये थे। सुहासिनी गांगुली इन क्रांतिकारियों को सुरक्षा देने के लिए कलकत्ता से चंद्रनगर पहुँचीं। इसके पहले वह कलकत्ता में गूंगे-बहरे बच्चों के एक स्कूल में कार्य कर रहीं थीं। चन्द्रनगर पहुँचकर उन्होंने वहीं के एक स्कूल में अध्यापन-कार्य ले लिया। शाम से सुबह तक वह क्रांतिकारियों की सहायक उनकी प्रिय सुहासिनी दीदी थीं। दिन भर एक समान्य अध्यापिका के रूप में काम पर जाती थीं और घर में शशिधर आचार्य की छद्म पत्नी बनकर रहती थीं ताकि किसी को संदेह न हो और यह घर एक सामान्य गृहस्थ का घर लगे और वह क्रांतिकारियों को सुरक्षा भी दे सकें। गणेश घोष, लोकनाथ बल, जीवन घोषाल, हेमन्त तरफदार आदि क्रांतिकारी बारी-बारी से यहीं आकर ठहरते थे।


⛓️⛓️ *गिरफ़्तारी*

यह सब करने पर भी ब्रिटिश अधिकारियों को सुहासिनी गांगुली पर संदेह हो गया। उस घर पर चौबीसों घंटे निगाह रखी जाने लगी। फिर 1 सितम्बर, 1930 को उस मकान पर घेरा डाल दिया गया। आमने-सामने की मुठभेड़ में जीवन घोषाल गोली से मारे गए। अनन्त सिंह पहले ही पुलिस को आत्म समर्पण कर चुके थे। शेष साथी और सुहासिनी गांगुली अपने तथाकथित पति शशिधर आचार्य के साथ गिरफ्तार हो गईं। उन्हें हिजली जेल भेज दिया गया, जहाँ इन्दुमति सिंह भी थीं। आठ साल की लम्बी अवधि के बाद वे 1938 में रिहा की गईं।                                           🇮🇳 *स्वतंत्रता संग्राम में योगदान*

सन 1942 के आन्दोलन में उन्होंने फिर से स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया फिर जेल गईं और 1945 में छूटीं। हेमन्त तरफदार तब धनबाद के एक आश्रम में संन्यासी भेष में रह रहे थे। रिहाई के बाद सुहासिनी गांगुली भी उसी आश्रम में पहुँच गईं और आश्रम की ममतामयी सुहासिनी दीदी बनकर वहीं रहने लगीं। बाकी का अपना जीवन उन्होंने इसी आश्रम में बिताया।                    🇮🇳 *जयहिंद* 🇮🇳   

   🙏 *विनम्र अभिवादन*🙏


           

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत:

टिप्पणी पोस्ट करा