आशुतोष दास
(क्रांतिकारी ,समाजसेवी)
*जन्म : 1888*
(हुगली ज़िला, बंगाल)
*मृत्यु : 31 जुलाई 1941*
नागरिकता : भारतीय
जेल यात्रा : आशुतोष दास सत्याग्रह आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण कई बार जेल गये।
विद्यालय : कोलकाता मेडिकल कॉलेज
अन्य जानकारी : आशुतोष दास ने हरिपाल नामक ऐसे गांव को सर्वप्रथम अपना केंद्र बनाया, जो सदा मलेरिया और काला अजार की महामारी से ग्रस्त रहता था। इनकी सेवा से उस क्षेत्र में यह रोग समाप्त हो गया।
आशुतोष दास भारत के स्वतंत्रता सेनानी और समाज सेवी थे। 'प्रथम विश्वयुद्ध' समाप्त होते ही गांधीजी के आह्वान पर इन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी और ग्रामीण जनता के उत्थान के कार्यों में लग गए। सत्याग्रह आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण ये कई बार जेल गये।
💁🏻♂️ *परिचय*
डॉ. आशुतोष दास का जन्म 1888 ई. में बंगाल के हुगली ज़िले में सेरामपुर नामक स्थान में हुआ था। विद्यार्थी जीवन में ही ये 'अनुशीलन समिति' में सम्मिलित हो गए थे। इस क्रांतिकारी संगठन से ही बाद में क्रांतिकारी 'जुगांतर पार्टी' अस्तित्व में आई थी। इस बीच इनका संपर्क अनेक क्रांतिकायों से हुआ और इन्होंने अपने ज़िले में इस संगठन को सुदृढ़ करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
⚜️ *समाज सेवा*
आशुतोष दास 1914 में कोलकाता मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर की डिग्री लेने के बाद इंडियन मेडिकल सर्विस में भर्ती हुए। 'प्रथम विश्वयुद्ध' समाप्त होते ही गांधीजी के आह्वान पर इन्होंने यह सरकारी नौकरी छोड़ दी और ग्रामीण जनता के उत्थान के कार्यों में लग गए। इन्होंने हरिपाल नामक ऐसे गांव को सर्वप्रथम अपना केंद्र बनाया जो सदा मलेरिया और काला अजार की महामारी से ग्रस्त रहता था। इनकी सेवा से उस क्षेत्र में यह रोग समाप्त हो गया। अविवाहित डॉ.दास ने अपना तन, मन, धन पूरी तरह से जन सेवा को समर्पित कर दिया था।
💥 *आंदोलन में भाग*
आशुतोष दास ने 1930 से 1934 तक के सत्याग्रह आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और इस कारण इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। ये अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य थे और गांधीजी से इनका निकट का संबंध था। इन्हीं के प्रयत्न से 'कांग्रेस चक्षु चिकित्सा समिति' का गठन हुआ था। इस समिति की ओर से डॉ. आशुतोष दास ने डॉक्टरों के दल दूर-दूर के देहातों में भेजकर लोगों के आँखो के रोगों का इलाज कराया था।
🪔 *निधन*
डॉ. आशुतोष दास व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय 1941 में गांवों में अंग्रेज़ों के विरुद्ध प्रचार करते समय बीमार पड़ गये, जिस कारण इनका निधन 31 जुलाई, 1941 को हो गया।
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